हमारे देश में भारतीय संस्कृति पर आधारित शिक्षा प्रणाली मुग़ल शासनकाल में अस्त व्यस्त हो गयी थी | अंग्रेजो ने योजना पूर्वक ऐसी पद्धति विकसित की जिसका उद्देश्य भारतीयों को अंग्रेजी सभ्यता का गुलाम बनाना था | स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात अनेक जाग्रत नागरिक एवं कर्णधार इस पाश्चात शिक्षा पद्धति को जड़ से उखारने की बात तो करते हैं किन्तु न तो वे ही और न ही शासन इसे उखाड़ सके और इसी के जाल में और उलझते चले गए |
जब तक किसी देश की शिक्षा प्रणाली उस देश के बालक एवं बालिकाओं को उस देश की मिटटी, सस्कृति, हमारे गौरवशाली, अतीत, हमारे धार्मिक ग्रंथो और पूर्वजो से नहीं जोड़ती है तब तक उस देश के उत्थान मे वह शिक्षा प्रणाली सहायक नहीं हो सकती है | इस लक्ष्य की प्राप्ति उद्देश्य से कुछ साहसी राष्ट्रप्रेमी एवं शिक्षाप्रेमी तथा बुद्धिजीवी बंधुओं ने बिचार किया की क्यों न एक छोटे से पौधे के रूप में योगीराज श्रीकृष्ण की नित्य लीला स्थली, साधको की साधना स्थली, तपस्विओं की तपस्थली श्रीधाम गोवर्धन में एक विद्यालय की स्थापना की जाये जहाँ देश की तरुणाई को दिशा एवं दृष्टि देने वाली शिक्षा पद्धति, जहाँ भारतीय जीवन मूल्यों का संरक्षण हो सके, अन्य अंग्रेजी विद्यालयों जैसी तड़क भड़क नहीं, जहाँ भौतिक आडम्बर नहीं, जहाँँ अध्ययन की वैज्ञानिक सुख सुविधाएँ उपलब्ध हों जहाँ व्यक्तित्व विकास एवं गुणों के संवर्धन का दिव्य भव्य वायुमंडल हो, जहाँँ जीवन को ऊँचा कराने के साथ साथ भारत माता की सेवा का संकल्प जागता हो, जहाँँ बालक के जीवन में उसकी वृत्तियों तथा गौरवशाली परम्परा के प्रति स्वाभिमान के भाव जाग्रत होते हों, बस यही स्वप्न लेकर हम प्रगति की दिशा में निरंतर अग्रसर हैं |
और पढ़ें ...
Danghati
Goverdhan
Mathura, Uttar Pradesh - 281502
shrimurarikunjsvm4@gmail.com
+91 7310506751
+91 8410643690